नागपुर न्यूज डेस्क: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में इस बार आम की पैदावार ने किसानों की किस्मत चमका दी है। खासकर दशहरी और आम्रपाली किस्म के मीठे आमों की भरपूर फसल ने न सिर्फ खेतों को फलदार बनाया, बल्कि किसानों के चेहरों पर भी मुस्कान ला दी। कोरबा के आमों की मिठास अब छत्तीसगढ़ की सीमाएं पार कर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक पहुंच गई है। नागपुर, मुंबई, दिल्ली और भोपाल जैसे बड़े शहरों से आई डिमांड ने किसानों को नई उम्मीदें दी हैं।
करतला ब्लॉक के 30 से अधिक गांवों में आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां करीब 55 हजार आम के पेड़ हैं, जिनमें से इस बार 35 हजार पेड़ों पर फल लदे हुए हैं। इन बागानों में दशहरी और आम्रपाली प्रजातियों के आम विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की मदद से हर साल यहां आम के नए पेड़ लगाए जा रहे हैं, जिससे उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और स्थानीय किसान इसे आय का मजबूत जरिया बना रहे हैं।
अब किसानों को आम बेचने के लिए बाजार के चक्कर नहीं लगाने पड़ते, क्योंकि सहकारी समितियों के ज़रिए ही आम की सीधी बिक्री हो रही है। पहले जहां बिचौलियों के कारण किसानों को घाटा उठाना पड़ता था, अब उन्हें सही दाम मिल रहे हैं। पहले केवल रायपुर, भिलाई और बिलासपुर जैसे नजदीकी शहरों तक ही कोरबा के आम पहुंचते थे, लेकिन अब दूर-दराज के बड़े शहरों से मांग आना इस बात का संकेत है कि कोरबा के आम अब एक ब्रांड बनते जा रहे हैं।
यहां की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कोरबा के आमों को रसायनों से नहीं, बल्कि पारंपरिक ढंग से पकाया जाता है, जिससे स्वाद और गुणवत्ता बनी रहती है। जिले के करीब 1900 किसान आम की खेती कर रहे हैं और हर किसान औसतन 45 से 50 हजार रुपये तक का लाभ कमा रहा है। भविष्य में किसान आम और जामुन का प्रोसेसिंग कर पल्प बनाने की योजना बना रहे हैं ताकि आमदनी और बढ़ सके। करतला के सफल मॉडल को देखकर अब अन्य ब्लॉकों के किसान भी आम की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।